क्षत्रिय घाँची समाज एकता की हकीकत
क्षत्रिय(घाँची) समाज का यदि किसी ने बड़ा नुकसान किया है तो वो खुद किसी क्षत्रिय(घाँची) ने ही किया है ,,,,,,,
#समाज के उद्धार के लिए,, समाज को हक दिलाने के नाम पर हजारो संगठन कुकुरमुतो की तरह खड़े कर दिये पर वो सच्चा, मैं झुठा की आपसी लड़ाई और फूट को देख कर समाज का आम आदमी बेचारा अपने आप को ठगा सा महसूस करता है
#युग बीत गये, दुनिया बदल गई पर क्षत्रिय(घाँची) समाज के लोगो की न तो खोखली शान बदली है न ही आपसी फूट बदली है,,,क्षत्रिय(घाँची) सदियों से अपने अहम/वहम अहंकार में जीता आया है अपने आगे वो किसी की नहीं सुनता है और आज भी यही हो रहा है
#सबको अपने अपने निजी हितो की पडी हैं समाज के हित किसी को नहीं दिख रहे हैं संगठनो के नाम पर एक दूसरे पर कीचड़ उछालने का काम ही हो रहा है,,,,,,, समाज के गौरवान्ति क्षत्रिय इतिहास व असली मुद्दों पर तो बेचारा साधारण क्षत्रिय(घाँची) लड रहा हैं जिसकी कोई सुनवाई नहीं है
#बहुत से लोग हमे को कहते हैं आप युवा हो फलाने संगठन में शामिल हों जाओ, इसमें आ जाओ, उसमें आ जाओ, ये सही है वो सही है,,,,,,,,,,,, मेरा जवाब हमेशा ना ही रहा हैं ,,,
#हमारा कुल परिवार, हमारा स्वाभिमान हमे समाज हित के काम पहले करने के लिए कहता है किसी भी संगठन में जाकर एक दूसरे पर कीचड उछालने की आजादी हमें नही चाहिए
#सैकड़ो संगठन आप समाज की भलाई के लिए बनाते हो तो ये आपसी फूट क्यू रखते हो,, हर एक मुद्दे पर मिल कर काम क्यू नहीं करते हो,, आपसी हितो और पदो की लोलूपता छोड़ कर समाज हित को सर्वोपरि रखो तभी प्रत्येक क्षत्रिय(घाँची)के मन में आपकी इज्जत बढेगी
#हमारे लिए समाज पहले है संगठन बाद में ,,हमारे लिए समाजहित पहले है संगठन हित बाद में
#टांग खिंचना और कीचड़ उछालना हमारी क्षत्रियता नहीं है ,,क्षत्रिय तो खुद का बलिदान देकर समाज के लिए कुछ कर गुजरने का नाम है 😊😊
अगर इसको पढ़ने के बाद भी कोई यह सोचता है कि हमारे समाज को क्षत्रिय/राजपुत घाँची नही लिखना चाहिए तो वे लोग अपना डीएनए जांच करवालें क्योंकि ऐसे समाज के पंच लोग अपने आप को अध्यक्ष ही नही समाज का नीति निर्माता समझ लेता है और समाज के कार्यक्रमो के निमंत्रण पत्रो व बैनर/पोस्टरों पर अपनी मनमानी करने लगते है क्योंकि उनको क्षत्रिय घाँची लिखने में शर्म आती है लेकिन ये लोग मोदी लिख कर जो दूसरे रक्त(डीएनए) में जो चले जाते है पर उनके इस घिनोने कार्य पर उनको लज़्ज़ा नही आती है पर क्षत्रिय लिखदे तो मानो उनको गाली लगी हो ऐसे समाज के पंच व अध्यक्ष समाज का भला कभी नहीं कर सकते है ये पंच व अध्यक्ष तो केवल अपने जेब का भला समाज के नाम से करने में लगें रहते है क्योंकि ये समाज के नाम पर अध्यक्ष अपने स्वार्थ के लिए बन तो जाते है पर समाज के स्थापना दिवस व सामूहिक विवाह सम्मेलन में इनको फर्क पता नहीं होता है साधारण से साधारण व्यक्ति को भी पता होता है कि स्थापना दिवस के दिन क्या क्या किया जाता है जैसे कि स्थापना दिवस के इतिहास पर प्रकाश डाला जाता है कि स्थापना दिवस क्यों मनाया जाता है, उसका कारण क्या है, स्थापना करने वाले महापुरुषों को याद किया जाता है, उनके योगदान व समाज इतने वर्षों में सामाजिक, शिक्षा व राजनीतिक स्तर पर वर्तमान में क्या मुकाम हासिल कर पाया है आदि मुद्दों पर प्रकाश डालने के बजाय ये समाज के संगठन केवल अपने खुद के संगठन के सदस्यों का सम्मान करने में ओर अपने ही मुँह से एक दूसरे की झूठी वाहवाही या फिर
समाज के स्थापना दिवस के मंच को राजनीतिक अखाड़ा बनाकर अपनी अपनी पार्टीयो की लॉबी करने लग जाते है
इनको यह पता नही रहता कि समाज का साधारण से साधारण व्यक्ति समाज के स्थापना दिवस पर समाज के जिस गौरवान्वित क्षणों को वह देखने आया है वैसा यहाँ पर कुछ नही होने वाला यहाँ पर तो उसे समाज के उन पंचो व अध्यक्षो की वाहवाही सुननी पड़ेगी ओर समाज के उन अमीर पंचो को मंच पर साफे व मोमेंटो लेते हुए देखना पड़ेगा यहाँ स्थापना दिवस तो कार्यक्रम का केवल नाम रखा गया है जबकि वास्तविकता से इसका कोई लेना देना ही नही है
अब अपने समाज के युवा पीढ़ी भी रूचिरत नही है अपने समाज के गौरवान्वित भूतकाल व वर्तमान की स्थिति से उसका कोई लेना देना नही क्योकि यहाँ भी वही हाल है उन पंचो व अध्यक्षो के बेटे भी समाज के युवा पीढ़ी के नाम पर संगठन बना कर उनके नक्शे कदम चल पड़े हैं और साधारण से क्षत्रिय घाँची को इतना वक़्त कहा कि वह अपने व परिवार की जरूरतों को पूरा करने के बाद उसके पास समय ही कहाँ रह जाता है जो वो समाज को दे पाये
आप सभी क्षत्रिय(घाँची) समाज बंधुओं से निवेदन है कि इसको ज्यादा से ज्यादा शेयर जरूर करे ताकि समाज के संगठन ओर उनके पदलोलुपता वाले सदस्यों का समाज के साधारण से साधारण युवा को पता चल सके
जय श्री राम
जय आबु अचलेश
जय सोमनाथ
#समाज के उद्धार के लिए,, समाज को हक दिलाने के नाम पर हजारो संगठन कुकुरमुतो की तरह खड़े कर दिये पर वो सच्चा, मैं झुठा की आपसी लड़ाई और फूट को देख कर समाज का आम आदमी बेचारा अपने आप को ठगा सा महसूस करता है
#युग बीत गये, दुनिया बदल गई पर क्षत्रिय(घाँची) समाज के लोगो की न तो खोखली शान बदली है न ही आपसी फूट बदली है,,,क्षत्रिय(घाँची) सदियों से अपने अहम/वहम अहंकार में जीता आया है अपने आगे वो किसी की नहीं सुनता है और आज भी यही हो रहा है
#सबको अपने अपने निजी हितो की पडी हैं समाज के हित किसी को नहीं दिख रहे हैं संगठनो के नाम पर एक दूसरे पर कीचड़ उछालने का काम ही हो रहा है,,,,,,, समाज के गौरवान्ति क्षत्रिय इतिहास व असली मुद्दों पर तो बेचारा साधारण क्षत्रिय(घाँची) लड रहा हैं जिसकी कोई सुनवाई नहीं है
#बहुत से लोग हमे को कहते हैं आप युवा हो फलाने संगठन में शामिल हों जाओ, इसमें आ जाओ, उसमें आ जाओ, ये सही है वो सही है,,,,,,,,,,,, मेरा जवाब हमेशा ना ही रहा हैं ,,,
#हमारा कुल परिवार, हमारा स्वाभिमान हमे समाज हित के काम पहले करने के लिए कहता है किसी भी संगठन में जाकर एक दूसरे पर कीचड उछालने की आजादी हमें नही चाहिए
#सैकड़ो संगठन आप समाज की भलाई के लिए बनाते हो तो ये आपसी फूट क्यू रखते हो,, हर एक मुद्दे पर मिल कर काम क्यू नहीं करते हो,, आपसी हितो और पदो की लोलूपता छोड़ कर समाज हित को सर्वोपरि रखो तभी प्रत्येक क्षत्रिय(घाँची)के मन में आपकी इज्जत बढेगी
#हमारे लिए समाज पहले है संगठन बाद में ,,हमारे लिए समाजहित पहले है संगठन हित बाद में
#टांग खिंचना और कीचड़ उछालना हमारी क्षत्रियता नहीं है ,,क्षत्रिय तो खुद का बलिदान देकर समाज के लिए कुछ कर गुजरने का नाम है 😊😊
अगर इसको पढ़ने के बाद भी कोई यह सोचता है कि हमारे समाज को क्षत्रिय/राजपुत घाँची नही लिखना चाहिए तो वे लोग अपना डीएनए जांच करवालें क्योंकि ऐसे समाज के पंच लोग अपने आप को अध्यक्ष ही नही समाज का नीति निर्माता समझ लेता है और समाज के कार्यक्रमो के निमंत्रण पत्रो व बैनर/पोस्टरों पर अपनी मनमानी करने लगते है क्योंकि उनको क्षत्रिय घाँची लिखने में शर्म आती है लेकिन ये लोग मोदी लिख कर जो दूसरे रक्त(डीएनए) में जो चले जाते है पर उनके इस घिनोने कार्य पर उनको लज़्ज़ा नही आती है पर क्षत्रिय लिखदे तो मानो उनको गाली लगी हो ऐसे समाज के पंच व अध्यक्ष समाज का भला कभी नहीं कर सकते है ये पंच व अध्यक्ष तो केवल अपने जेब का भला समाज के नाम से करने में लगें रहते है क्योंकि ये समाज के नाम पर अध्यक्ष अपने स्वार्थ के लिए बन तो जाते है पर समाज के स्थापना दिवस व सामूहिक विवाह सम्मेलन में इनको फर्क पता नहीं होता है साधारण से साधारण व्यक्ति को भी पता होता है कि स्थापना दिवस के दिन क्या क्या किया जाता है जैसे कि स्थापना दिवस के इतिहास पर प्रकाश डाला जाता है कि स्थापना दिवस क्यों मनाया जाता है, उसका कारण क्या है, स्थापना करने वाले महापुरुषों को याद किया जाता है, उनके योगदान व समाज इतने वर्षों में सामाजिक, शिक्षा व राजनीतिक स्तर पर वर्तमान में क्या मुकाम हासिल कर पाया है आदि मुद्दों पर प्रकाश डालने के बजाय ये समाज के संगठन केवल अपने खुद के संगठन के सदस्यों का सम्मान करने में ओर अपने ही मुँह से एक दूसरे की झूठी वाहवाही या फिर
समाज के स्थापना दिवस के मंच को राजनीतिक अखाड़ा बनाकर अपनी अपनी पार्टीयो की लॉबी करने लग जाते है
इनको यह पता नही रहता कि समाज का साधारण से साधारण व्यक्ति समाज के स्थापना दिवस पर समाज के जिस गौरवान्वित क्षणों को वह देखने आया है वैसा यहाँ पर कुछ नही होने वाला यहाँ पर तो उसे समाज के उन पंचो व अध्यक्षो की वाहवाही सुननी पड़ेगी ओर समाज के उन अमीर पंचो को मंच पर साफे व मोमेंटो लेते हुए देखना पड़ेगा यहाँ स्थापना दिवस तो कार्यक्रम का केवल नाम रखा गया है जबकि वास्तविकता से इसका कोई लेना देना ही नही है
अब अपने समाज के युवा पीढ़ी भी रूचिरत नही है अपने समाज के गौरवान्वित भूतकाल व वर्तमान की स्थिति से उसका कोई लेना देना नही क्योकि यहाँ भी वही हाल है उन पंचो व अध्यक्षो के बेटे भी समाज के युवा पीढ़ी के नाम पर संगठन बना कर उनके नक्शे कदम चल पड़े हैं और साधारण से क्षत्रिय घाँची को इतना वक़्त कहा कि वह अपने व परिवार की जरूरतों को पूरा करने के बाद उसके पास समय ही कहाँ रह जाता है जो वो समाज को दे पाये
आप सभी क्षत्रिय(घाँची) समाज बंधुओं से निवेदन है कि इसको ज्यादा से ज्यादा शेयर जरूर करे ताकि समाज के संगठन ओर उनके पदलोलुपता वाले सदस्यों का समाज के साधारण से साधारण युवा को पता चल सके
जय श्री राम
जय आबु अचलेश
जय सोमनाथ