क्षत्रियवंशी लाटेचा राजपुत घाँची समाज की बहन बेटियां इसको पढ़कर अवश्य गौर करे
क्षत्रियवंशी घाँची समाज की बहन बेटियां इसको पढ़कर अवश्य गौर करे - कि आजकल फ़ैशन चल पड़ा है छोटे छोटे कपड़े पहनकर अंग प्रदर्शन का क्या इसकी आवश्यकता है ? कि आपको ऐसे अंग प्रदर्शन व नग्नता करनी पड़े ? अगर है तो किस वजह से ?
आजकल इंस्टाग्राम यूट्यूब पर लड़कियां बहने लाइव वीडियो बनाती है जिसको वो अपनी कला के नाम पर नग्नता परोसती है इन यूट्यूब चैनलो पर व इंस्टाग्राम रील्स में वही लड़की ज्यादा फेमस होती है जो ज्यादा अपने शरीर को नंगे रूप में दिखाती है जो जितने कम कपडे पहनेगी अपने चचहरे बदन की कसावट दिखाएगी उसके ज्यादा लाइक व्यू व कमेंट आएंगे अगर ऐसे नग्नता से पैसे ही कमाने है तो फिर इन इंस्टाग्राम यूट्यूब पर नंगी नाचने वाली व उन कोठे के वेश्याओं में क्या फर्क रह जाता है
आजकल इन यूट्यूब व इंस्टाग्राम फ़ेसबुक पर शादीशुदा अधेड़ उम्र की महिलाएं , भाभियां भी पीछे नही रहती है यह भी उन फिल्मी भाँडो के देखा देखी में अपने शरीर के नग्नता परोसने पर उतर ही जाती है देर सवेर , अब इन अधेड़ उम्र की माताओ व भाभियों को कौन समझाए कल वही वीडियो को तुम्हारी औलाद देखेगी बड़ी होकर व तुम्हारे बाप दादा आदि भी देखकर अपनी आँखों मे शर्म के मारे मर जायेंगे जिन वीडियो में तुम अपने चचहरे बदन को कसे कपड़ो में जकड़कर अपने कूल्हे मटकाती हो ताकि व्यू व लाइक कमेंट ज्यादा आये या शायद ज्यादा पैसे यूट्यूब एडसेंस से मिल जाये
#लड़कियो के नग्न घूमने पर जो लोग या स्त्रीया ये कहती है की #कपडे नहीं सोच बदलो..उन लोगो से मेरे कुछ प्रश्न है ??? 1-हम #सोच क्यों बदले??
सोच बदलने की नौबत आखिर आ ही क्यों रही है??? आपने लोगो की सोच का #ठेका लिया है क्या??
2) आप उन लड़कियो की सोच का #आकलन क्यों नहीं करते??
उसने क्या सोचकर ऐसे कपडे पहने की उसके स्तन पीठ जांघे इत्यादि सब दिखाई दे रहा है....
इन कपड़ो के पीछे उसकी सोच क्या थी??
एक #निर्लज्ज लड़की चाहती है की पूरा पुरुष समाज उसे देखे,वही एक सभ्य लड़की बिलकुल पसंद नहीं करेगी की कोई उस देखे ।
3) अगर सोच बदलना ही है तो क्यों न हर बात को लेकर बदली जाए???
आपको कोई अपनी बीच वाली ऊँगली का इशारा करे तो आप उसे गलत मत मानिए......
सोच बदलिये..
वैसे भी ऊँगली में तो कोई बुराई नहीं होती....
आपको कोई गाली बके तो उसे गाली मत मानिए...
उसे प्रेम सूचक शब्द समझिये.....
हत्या ,डकैती, चोरी, बलात्कार, आतंकवाद इत्यादि सबको लेकर सोच बदली जाये...
सिर्फ नग्नता को लेकर ही क्यों????
4) कुछ लड़किया कहती है कि हम क्या पहनेगे ये हम तय करेंगे....
पुरुष नहीं.....
जी बहुत अच्छी बात है.....
आप ही तय करे....
लेकिन हम पुरुष भी किस लड़की का सम्मान/मदद करेंगे ये भी हम तय करेंगे, स्त्रीया नहीं....
और हम किसी का सम्मान नहीं करेंगे इसका अर्थ ये नहीं कि हम उसका अपमान करेंगे
5) फिर कुछ विवेकहीन लड़किया कहती है कि हमें आज़ादी है अपनी ज़िन्दगी जीने की.....
जी बिल्कुल आज़ादी है, ऐसी आज़ादी सबको मिले, व्यक्ति को चरस, गांजा, ड्रग्स, ब्राउन शुगर लेने की आज़ादी हो, गाय भैंस का मांस खाने की आज़ादी हो, वैश्यालय खोलने की आज़ादी हो, पोर्न फ़िल्म बनाने की आज़ादी हो...
हर तरफ से व्यक्ति को आज़ादी हो ।
6) लड़को को संस्कारो का पाठ पढ़ाने वाला कुंठित स्त्री समुदाय क्या इस बात का उत्तर देगा की क्या भारतीय परम्परा में ये बात शोभा देती है की एक लड़की अपने भाई या पिता के आगे अपने निजी अंगो का प्रदर्शन बेशर्मी से करे???
क्या ये लड़किया पुरुषो को भाई/पिता की नज़र से देखती है ???
जब ये खुद पुरुषो को भाई/पिता की नज़र से नहीं देखती तो फिर खुद किस अधिकार से ये कहती है की "हमें माँ/बहन की नज़र से देखो" ?
कौन सी माँ बहन अपने भाई बेटे के आगे नंगी होती है???
भारत में तो ऐसा कभी नहीं होता था....
सत्य ये है कीअश्लीलता को किसी भी दृष्टिकोण से सही नहीं ठहराया जा सकता। ये कम उम्र के बच्चों को यौन अपराधो की तरफ ले जाने वाली एक नशे की दूकान है।।और इसका उत्पादन स्त्री समुदाय करता है।
मष्तिष्क विज्ञान के अनुसार 4 तरह के नशो में एक नशा अश्लीलता(वासना ) भी है।
चाणक्य ने चाणक्य सूत्र में यौनवासना/संभोग को सबसे बड़ा नशा और बीमारी बताया है।।
अगर ये नग्नता आधुनिकता का प्रतीक है तो फिर पूरा नग्न होकर स्त्रीया अत्याधुनिकता का परिचय क्यों नहीं देती????
गली गली और हर मोहल्ले में जिस तरह शराब की दुकान खोल देने पर बच्चों पर इसका बुरा प्रभाव पड़ता है उसी तरह अश्लीलता समाज में यौन अपराधो को जन्म देती है।।
#पहनावा..सिर्फ चित्र नही #चरित्र भी तय करता है..
जिस प्रकार एक #पुरुषकाशरीर उसकी पत्नी के लिए होता है ठीक उसी प्रकार एक #स्त्रीकायोवन सिर्फ़ उसके पति के लिए होता है।
और इसका उदाहरण भी समय-समय पर हमारी वीर क्षत्राणियों व पराक्रमी क्षत्रिय पुरूषों ने पेश किया है फिर वो चाहे माता पद्मनी का जौहर हो या हाड़ी रानी का त्याग हो,
लेकिन देखा जा रहा है कि कुछ कुलहीन महिलाओं व चांडाल परवर्ती के पुरूष द्वारा हमारी इस सांस्कृतिक जीवन धरोहर पर कुठाराघात करने के प्रयत्न किए जा रहे हैं और दुख तो तब होता है जब हमारी कुछ हिन्दू महिलाएं भी इन दुष्टो की कुचाल का शिकार हो जाती हैं।
याद रहे स्त्री वहीं है जो अपने बदन को दिखाने के बजाए मर्यादित वस्त्रों को पहन अपने कुल की गरिमा को बनाए रखें, अन्यथा अंग प्रदर्शन तो कुत्ते बिल्लियाँ भी कर लेते हैं।
याद रखें कि हम इंसान हैं जानवर नहीं। हिन्दू लड़कियाँ /महिलायें जितना अधिक शरीर दिखाना चाह रही, मुस्लिम महिलायें उतना ही अधिक पहनावे के प्रति कठोर होते जा रही।
पहले पुरुष साधारण या कम कपड़े पहनते थे, और नारी सौम्यता पूर्वक अधिक कपड़े पहनती थी, पर अब टीवी सीरियलों, फिल्मों की चपेट में आकर हिन्दू नारी के आधे कपड़े स्वयं को Modern बनने में उतर चुके हैं।
यूरोप द्वारा प्रचारित #नंगेपन के षडयंत्र की सबसे आसान शिकार, भारत की मॉडर्न हिन्दू महिलाए है, जो फैशन के नाम पर खुद को नंगा करने के प्रति वेहद गंभीर है, पर उन्हें यह ज्ञात नहीं कि वो जिसकी नकल कर इस रास्ते पर चल पड़ी है, उनको इस नंगापन के लिए विज्ञापनों में करोड़ो डॉलर मिलते है। उन्हें कपड़े ना पहनने के पैसे मिलते हैं।
पहनावे में यह बदलाव ना पारसी महिलाओं में आया ना मुस्लिम महिलाओं में आया, यह बदलाव सिर्फ और सिर्फ #हिंदू_महिलाओं में ही क्यों आया है?? जरा इस पर विचार कीजियेगा।
क्योंकि..- अगर कम कपड़े पहनना ही मॉडर्न होना है
तो जानवर इसमें आप से बहुत आगे हैं- स्वामी विवेकानन्द जी🙏🙏🙏
यह पोस्ट केवल हमारी बहु, बेटियों, माताओं, बहनों को यूरोप द्वारा प्रचारित नंगेपन के षडयंत्र का शिकार बननें से रोकने के लिए है, यदि इस पोस्ट को आप अपनें बहनों, बेटियों से शेयर करें तो हो सकता है, हमारा आनें वाला समाज प्रगति की ओर तत्पर हो,
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अगर फिर भी इस लेख से हमारे कारण किसी का दिल दुखे तो हम आप सबके क्षमाप्रार्थी है।
जय माँ भवानी
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