Monday, October 21, 2019

क्षत्रिय घाँची समाज व मोदी बनियो में अंतर

प्रधानमंत्री मोदी जी नही है क्षत्रिय घाँची समाज के

उनका हमारे समाज से कोई सम्बन्ध नही

आपने सही पढ़ा ऊपर की दो पंक्तियों में की मोदी जी का क्षत्रिय घाँची समाज से कोई वास्ता नही है ओर न ही यह मोदी गोत्र अपने क्षत्रिय घाँची समाज की गोत्र है

पिछले 10-12 वर्षो के भीतर अचानक से अपने समाज वालो ने मोदी को अपनी जाति का बताने की होड़ सी मचाकर रखी है और बहुत से समाज बन्धु तो अपनी दादा परदादा की गोत्र लिखना छोड़कर यह मोदी गोत्र भी लिखने लग गये जो कि सरासर उनकी मुर्खता का प्रमाण है
जबकि सबको पता है कि हम क्षत्रियवंशी है व क्षत्रिय वंश 36 वंशो में बंटा हुआ था और उसके बाद चौहान वंश में पुनः 26 अलग अलग खापे/ शाखाये निकली तो बाद में क्षत्रिय वंश में कुल 62 वंश गिने जाने लगे

जो एक दोहे द्वारा उल्लेखित है -

दस रवि से दस चन्द्र से, बारह ऋषिज प्रमाण

चार हुतासन सों भये  , कुल छत्तिस वंश प्रमाण

भौमवंश से धाकरे टांक नाग उनमान

चौहानी चौबीस बंटि कुल बासठ वंश प्रमाण

अथार्त -दस सूर्य वंशीय क्षत्रिय,   दस चन्द्र वंशीय, बारह ऋषि वंशी एवं चार अग्नि वंशीय कुल छत्तिस क्षत्रिय वंशों का प्रमाण है, बाद में भौमवंश. , नागवंश क्षत्रियों को सामने करने के बाद जब चौहान वंश चौबीस अलग- अलग वंशों में जाने लगा तब क्षत्रियों के बासठ अंशों का प्रमाण मिलता है।


यह बात सबको ज्ञात है कि हमारा समाज क्षत्रिय राजपुत समाज से बना है और हमारे समाज मे इन्ही 62 वंश की गोत्रो में से 4 वंशो की 13 गोत्र को सम्मिलित कर क्षत्रिय राजपुत घाँची समाज की स्थापना  राजपुत समाज से अलग होकर एक क्षत्रिय समाज की कल्पना की गयी थी जो केवल देवताओं द्वारा पद्धित क्षत्रिय कर्म करने के लिए व जिसमे कोई दहेज प्रथा, टीका प्रथा, विधवा विवाह जैसी रूढ़िवादी प्रथाओं का त्याग आज से 885 वर्षो पूर्व हमारे समाज ने कर के  विक्रम संवत 1191 जयेष्ट शुक्ल पक्ष तृतीया(तीज /3 ) रविवार को राजा कुमारपाल सिंह जी तथा वेलसिंह जी के नेतृत्व में 189 राजपुत सरदारो के  परिवारों को मिलाकर एक छोटी
जनसंख्या वाले तत्कालीन क्षत्रिय राजपुत घाँची व वर्तमान क्षत्रिय घाँची समाज की स्थापना चालुक्य वंश के अहिलनवाड राज्य में हुई और अहिलनवाड राज्य से 1191 में निकलकर विक्रम संवत 1199 तक परमार नरेश विक्रम सिंह के राज्य आबु में रुके जो वेलसिंह जी का भाणेज भी था , वहाँ 1199 में अपने राजदरबार(अहिलनवाड राज्य) के  राजगुरु   रुद्र के छोटे भाई चंच को आबु बुलाकर अपने राजपुत वंशावली को लिखा कर सभी क्षत्रिय सरदारो ने 
तत्कालीन राजपुताना में प्रवेश किया  ओर  में जब विक्रम संवत 1143 में  हमारी मातृभूमि अहिलनवाड की राजा सिद्धराज जयसिंह सौलंकी की मृत्यु के बाद वहाँ की राजगद्दी के वारिस कुमारपाल सिंह जो कि हमारे साथ राजपुताना में आये थे उनको भेजा गया वापस अपनी मातृभूमि के लिए राजपाट संभालने के लिए क्योंकि कुमारपाल सिंह जी राजा जयसिंह के भतीज थे व जयसिंह के कोई संतान नही थी तो कुमारपाल सिंह ने हमारी मातृभूमि अहिलनवाडा की बागडोर संभाली थी

 जब  हमारे समाज व क्षत्रिय इतिहास तथा अपनी मातृभूमि अहिलनवाड़ा के 1000 पुराना इतिहास के साक्ष्यों को देखा जाए तो आपको कही पर भी इस मोदी गोत्र का उल्लेख नहीं मिलता है और न ही यह कोई क्षत्रिय वंश की गोत्र है जबकि यह गोत्र उस समय जैन(बनिया ) व ईरान के सूर्य उपासक धर्म पारसी धर्म में मोदी गोत्र का उल्लेख जरूर मिलता है  तथा हिंदु धर्म मे जैन और साहू तेली जाति में मिलता है जो कि आप हमारे राज्य अहिलनवाडा राज्य के राज्य गैजेट में भी देख सकते है

ओर  रही बात मोदी जी को क्षत्रिय घाँची बताने वालों की तो तुम पहले इतिहास पढ़लो  अपने 7 पीढ़ी का वंशक्रम अपने क्षेत्र में रहने वाले क्षत्रिय घाँची समाज के चारण राव भाट से पता कर लेवे !
फिर किसी दूसरे जाति का गोत्र लिखने से पहले सोचने के बाद विचार करना अपने क्षत्रिय पूर्वजो का जिन्होंने अपने स्वाभिमान के लिए अपनी मातृभूमि त्याग दी थी


प्रधानमंत्री मोदी जी जो कि बनिया वर्ग से सम्बन्ध रखते है महात्मा गांधी जी भी मोदी जी के जाति भाई है यह बनियों के खंबाती, चम्पानेरी, मौर(मोड़) अहमदाबादी आदि बनियो ने तेल  व घी बेचने का व्यापार करने लगे जो बाद में बनिया तेली जाति से पहचाने जाने लगे व उनकी पत्नी साहू तेली जाति की है गुजरात के मुस्लिम व हिंदु तेली (घाँची) लिखते हैं 

राजस्थान के क्षत्रिय घाँची समाज का गुजरात की मोड़/मोद(तेली घाची) जाति जिससे महात्मा गांधी व मोदी आते है उनसे किसी भी प्रकार का रोटी बेटी व भाणे व्यवहार नही है  फिर भी अपने  क्षत्रिय घाँची समाज के कुछ लोग खुद ही साहू तेलियों के समितियों में गुस्से जा रहे है और इन साहू तेलियों से बेटियों की शादियां भी जोधपुर में करने लगे हैं जबकि हमारे क्षत्रिय घाँची समाज का साहू तेलियों से कोई सम्बन्ध नही है


सभी क्षत्रिय घाँची समाज बंधुओं से निवेदन है कि आप सभी अपने पूर्वजो के स्वाभिमान को जिंदा रहने दे हम क्षत्रियवंशी है और यही हमारी पहचान है हमारे क्षत्रिय समाज का किसी भी दूसरी  जाति ( साहू तेली मोदी) से कोई भी प्रकार का संबंध नहीं है यह सब राजनीतिक दलों ने व अपने ही समाज के राजनीतिक दलालो ने अपने फायदे के लिए सार्वजनिक मंचो से अपनी बकवास करके अपनी राजनीतिक रोटी सेकने के लिए अफवाहों को बढ़ावा देते है ऐसे है अपने ही समाज के राजनीतिक दल्ले जो अपने समाज को भी अपने फायदे के लिए किसी भी शुद्र वर्ण की जाति व शुद्र वर्ण के लोगो को अपने क्षत्रियवंशी समाज का सर्टिफिकेट बाँटते फिरते हैं

हमारा पहचान  हमारा धर्म  - क्षत्रिय धर्म , वर्ण - क्षत्रिय वर्ण , जाति - क्षत्रिय/ रजपूती है यही है हमारी पूरी पहचान हमारे समाज का घाँची शब्द से कोई सीधा संबंध नहीं है ओर न ही इस नाम से कोई जाति थी उल्टा अपने पूर्वजो की एक छोटी गलती की वजह से आज यह घाँची शब्द हमारे समाज की असली पहचान व अपने पूर्वजो की पहचान क्षत्रिय पहचान को निगलने लगा है  इसलिए सभी अपनी क्षत्रिय पहचान बनाये रखें


जय माँ भवानी
जय सोमनाथ

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