Monday, October 21, 2019

क्षत्रिय घाँची समाज की क्षत्रियत्व व हमारे पूर्वजो की रजपूती पर लगता वर्णसंकरता का लांछन

अरे हम क्षत्रिय घाँची, क्षत्रिय राजपूतो के वंसज है हमारे पूर्वज जिन्होंने अपनी रजपूती स्वाभिमान को लेकर कभी समझौता नहीं किया था
और आज कुछ समाज बन्धु क्षत्रिय राजपुत घाँची वंशज होकर भी खुद के नाम के साथ मोदी लिख  तेलियों की जात में गुस्से जा रहे है कितने शर्म की बात है अपने समाज के संस्थापक राजपुत सरदारो ने क्या यही  सोच कर राजपुत घाँची समाज बनाया था ?  , कि उनके वंसज भविष्य में फेमस होने के लिए निचली शुद्रो  की तेली जाति में घुस कर उन तेलियों की गोत्रे लिख कर उनके रजपूती स्वाभिमान ओर रजपूती को मिटी में मिला देगे कितने शर्म की बात है पूरे क्षत्रिय राजपुत घाँची समाज के स्वभिमानी राजपुत सरदारो के लिए क्या वर्तमान के सभी क्षत्रिय घाँची समाज के लोगों में उन्ही 14 गोत्र के 189 क्षत्रिय राजपुत सरदारो का खून है या किसी वर्णसंकर / मिलावट तो नही कर ली 884 वर्षो के अंतराल में ?

जितने भी स्वाभिमानी क्षत्रिय राजपुत घाँची समाज बंधु है जिनको ऊपर लिखे गए शब्दों से ठेस पहुंची है तो उनसे क्षमा  चाहता है हमे पता कि आज भी बहुत से समाज बन्धु है जिनमे अपने पूर्वजो का क्षत्रिय स्वाभिमान जिंदा है पर यह केवल उन्हीं दोगलो के लिए है जो वर्तमान में अपने नाम के साथ मोदी लिख के भी अपने आप को क्षत्रियवंशी व क्षत्रिय राजपुत घाँची मानते है जबकि मोदी लिखते ही वह क्षत्रिय समाज से बाहर हो चुका होता है फिर उसको अपने आप को क्षत्रिय घाँची कहने का कोई हक नही रह जाता है


जय माँ भवानी
जय राजपूताना
जय क्षत्रिय राजपुत घाँची समाज

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