क्षत्रिय घाँची राजपुत समाज की गोत्र
: " चौहान" का बाहुबल हो ,
" राठौड़ " का जोश हो ,
"सिसोदिया(गहलोत)" की सोच हो,
" बोराणा " का शौर्य हो ,
" भाटी " की बाजू हो ,
" पंवार " का पानी हो ,
" सोंलकी " की समझ हो ,
" परिहार " का प्रहार हो ,
" देवडा " की दहाड़ हो ,
" परमार " जैसा महान हो ,
" दहिया " सा धीर हो ,
तो कसम " माँ भवानी " की पूरे के पूरे संसार पर " क्षत्रियो(घाँची) " का राज हो ।
" राठौड़ " का जोश हो ,
"सिसोदिया(गहलोत)" की सोच हो,
" बोराणा " का शौर्य हो ,
" भाटी " की बाजू हो ,
" पंवार " का पानी हो ,
" सोंलकी " की समझ हो ,
" परिहार " का प्रहार हो ,
" देवडा " की दहाड़ हो ,
" परमार " जैसा महान हो ,
" दहिया " सा धीर हो ,
तो कसम " माँ भवानी " की पूरे के पूरे संसार पर " क्षत्रियो(घाँची) " का राज हो ।
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