Monday, December 4, 2017

क्षत्रिय सरदार (घाँची) समाज के इतिहास से जुड़े कुछ रोचक तथ्य

क्षत्रिय राजपूत घाँची जाति के सरदार जो की अहिलवाड़ा राज्य के वीर योद्धा और प्रतापी राजपूत जिनमे से 189 राजपूत सरदारो के परिवारो ने अपनी मातृभूमि अहिलापुर राज्य व अपनी जागीरों को छोड़ तत्कालीन राजपूताना (वर्तमान में राजस्थान) में बस गये क्योंकि राजपूत सरदारो के आपसी मनमुटाव व सामंत  बनने की लड़ाइयो के कारण तथा अपने दिए हुए वचन पर राजा जयसिंह द्वारा मुखर जाने पर 189 परिवारो के 11 गोत्रि क्षत्रिय राजपूत राजस्थान आ गये व वर्तमान में  राजस्थान में इनको क्षत्रिय व क्षत्रिय राजपुत घाँची जाति के नाम से पहचाने जाने लगे जो कि शुद्ध क्षत्रिय राजपूत सरदार  है

राजपुताना में इन सरदारो ने विक्रम सवंत 1191 में प्रस्थान किया तथा उस समय की राजपूत ठिकाणे में रहने लगे जिसमे  सिरोही सुमेरपुर पाली से होते हुए जोधपुर , भीनमाल व बालोतरा आदि ठिकाणो में रहकर उस समय के राजाओ की सेनाओ में सेवा देकर अपना क्षत्रिय राजपूती धर्म निभाते और कर्षि के व्यवसाय को  जातिय व्यवसाय अपना कर कर्षि कार्य करने लगे

राजपुताना(राजस्थान) में आने से पहले इन  सरदारो का शासन अहिलापुर /अहिलवाड़ा राज्य में शासन था तथा
इनकी राजधानी पाटण थी

👉अपनी ही जाति के राजा जयसिंह  सोलंकी ने सोमनाथ मंदिर का पुनरुद्धार 1189 में करवाया था

👉 क्षत्रिय सरदार (घाँची) जाति के राजा जयसिंह सोलंकी बड़ा ही प्रतापी राजा होने के कारण इनको सिद्धराज की उपाधि मिली और इन्होंने अपने शासन काल में कही युद्ध जीतकर अपने राज्य की सीमाएं बढाकर मेवाड़ तक व उत्तर दिशा में जैसलमेर तक राज्य विस्तार किया



क्षत्रिय(घाँची) समाज के इतिहास के अनुसार  कुल 12 राजपूती गोत्रे है और इन क्षत्रिय गोत्रो की उत्पति कैसे हुए है

तो इन गोत्रो की उत्पत्ति का इतिहास वेदों पुराणों व शास्त्रों में लिखा हुआ है इन गोत्रो को  इनके   वंस के आधार पर तीन भागो में बॉटा गया है  जिनमे   सूर्यवंश , चन्द्रवंश,अग्निवंश ,ऋषिवंश  है और इन वंस के आधार पर गोत्रे विभाजित है

सूर्यवंशी = रणबंका राठौड़ , गेहलोत(सिसोदिया) , पँवार , निकुंभ/ निकुंब


चंद्रवंशी = भाटी(जस्सा)


अग्निवंश की चार शाखायें:-

१.चौहान( देवड़ा गोत्र चौहानो की ही खाप है )  २सोलंकी ३परिहार व परिहारिया ४.परमार 


ऋषिवंश की  शाखायें


दहिया(दधीचि ऋषि के वंशज)

ये सभी 12 गोत्रे  अलग अलग वंश की है तथा दो गोत्र अलग खाप की है जैसे कि
  1 देवड़ा गोत्र चौहान गोत्र की ही खाप/ उपजाति है  
2 बोराणा  गोत्र tanwar rajputs  की खाप है तथा बोरगढ़ से निकलने के कारण बोराणा कहलाये 
 
इसप्रकार क्षत्रिय राजपुत  घाँची समाज मे अलग अलग वंशजो की 11 गोत्रे हमारे क्षत्रिय राजपुत घाँची समाज में है 

जय माँ भवानी

27 comments:

  1. Borana tanwar rajputo ki upagotra he, tanwar, tomar how pandav (Arjuna) ke vansaj he

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    1. Bhai saheb apke pas koi sabot he jises ye fix hojay ki vo borana tanwar rajput ki upgotra he

      Please bataye na

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    2. Borana tanwar vansh ki upgotr hai
      Isiliye dashana rajput tanwar vansh ki upgotr borana rajput me shadi nahi karte hai

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    3. Ye baat Sahi he borana tanwar Rajput ki gotra he mere pass sabut he ham 300 years se borana laga rahe he

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  2. RAJPUT SURNAMES: GUJRAT STATE


    Vala, Aswar, Barad (बारड), Baria, Bhadaliya, Bhandari, Bhatti (भट्टी), Borana, Chauhan (चौहाण), Chavda (चावडा), Chitra, Chudasma, Dabhi (डाभी), Dahima (दाहिमा), Devda (देवडा), Dod, Dodiya/ Dodia (डोडीया), Ghelada, Ghelda, Gholetar, Gohil, Hadiol, Herma (हेरमा), Jadav (जादव), Jethava (only in Rajkot Sector), Kachhela, Kamliya, Kher (खेर), Kherdiya, Limbad, Makvana (मकवाणा), Mandora, Masani, Mori (मोरी), Nakum(नकुम), Nirwan, Padhar, Padheriya, Padhiyar (पढियार), Parghavi, Parmar, Rathod (राठोड), Revar, Selara, Selara, Sindhav (सिंधव), Sindhav, SOLANKI, Tank, Tunvar, Tur, Ummat, Vadher, Vaja (only in Bhal Sector), Vanar, Vegad, Vihol, Zala, Zankat (झणकाट)

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  3. Inder bhai Gujrat me Kharwad Rajput hai ya nahi hai plz reply

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  4. बोराणा गॊत्र का इतिहास आज भी अधुरा है।
    सब मनगढत कहानियाँ ।
    बोराणा गोत्र कयी धर्मो मे बडा है।
    हिन्दु
    मुसलिम
    ईसाई
    बौध
    सिख
    जैन
    फिर भी इस गॊत्र का इतिहास अधुरा।
    यह कोई राठोड वंश कि खेप नही है।
    यह स्वत्रंत गोत्र है।
    दुनीया मे इसकी आबादी सभी अन्य गोत्र से ज्यादा है।

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    1. सत्य अधुरा है।
      बोराणा गोत्र का राठोड वंश से कोई मेल नहि है।
      कॊन से राव/भाट के इतिहास के चोपडो मे लिखा है। बोराणा गोत्र राठोड गोत्र कि खेप है।
      इस तरह लोगो को गुमराह करने का कार्य करने कि ईजाजत किसने दी आप सब लोगो को ?

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  5. यह बोराणा गोत्र कयी देशो मे फेला है।
    हर धर्म मे बटा है।
    आज भी ३% इसकी आबादी किसि धर्म को नही मानती।
    पुर्व काल से वे अन्य देश मे वे स्वतंत्र धर्म मानते।
    उनकी अपने नियम और रित है।

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    1. kitne desh me fayli h bhai hume bhi bata yarr or kon konse desh me rhte h or konsi alag riti rivajh inke hume bhi margdarshan kre fake history mat uthar le aana

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    2. आप सोशल मीडिया पर देखे।
      ऐसीया और अफरीका तक फैला हैं।
      बोराणा गौत्र का वजुद बडा है।
      करीबन १० देशो मे फैला हैं।

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    3. सही क्या है।
      आप पुक्ता सबूत देरावे।
      अथवा अपने मोबाईल नं देरावे।
      जिससे आमने सामने बात कर सके।
      हर गलत फेमी का निवारण किया जा सके।

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  6. Jaisinghpuriya rathore goutra bhi rajput hai ky

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  7. Ky jaisinghpuriya rathore B rajput goutra hai

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  8. Borana ko koi tanwer vanse ki shakha bata rahe hai @ koi rathod ka upgotra sahi kya hai margdarsan pardan karave.

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  9. बोराणा गोत्र सुध रूप से तंवर वंस की गोत्र है, तंवर तोमर जो कि पाण्डु पुत्र अर्जुन के वंशज है। क्षत्रिय वंस की शाखा है, राजा अनंगपाल प्रथम के पुत्र बोडाना जिनका मालवा , मारवाड़ ओर देसूरी पर सासन था। अनंगपाल प्रथम के पुत्र बोडाना के नाम से ओर उनके वंस से बोराणा गोत्र की उतपति हुई और धीरे धीरे बोराणा गोत्र के रूप परचलित हो गई । इस तरह ये तंवर राजपुतो की एक शाखा बोराणा बनी । तंवर वंस बोराणा वंस एक ही है। ये सब हमारे राव भाटो की बहियों में लिखा है।

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  10. जब कभी भी राव बोराणा वंस की बहि खोलता है तब सबसे पहले उसके ऊपर क्षत्रीय तंवर बोराणा ही लिखा होता है।

    हर हर महादेव🙏🙏
    जय भवानी 🚩🚩

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    1. क्या आप बोराणा वंस की कुल देवी का भी पता लगा सकते है? कोई कहता है अर्बुदा तो कोई कहता है नामा माता या कोई और। सही क्या है?

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